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न सडक़ पर। बल्कि वह तो किसी की सुनते भी नहीं

Irony : *झंडा ऊंचा रहे हमारा!* *(व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा)*

शुक्र है कि मोदी जी विरोधियों के विरोध की परवाह नहीं करते हैं। न संसद में, न सडक़ पर। बल्कि वह तो किसी की सुनते भी नहीं हैैं, विरोधियों तो विरोधियों, अपनों की भी नहीं। अपनों की छोडि़ए, खुद अपने मन की भी नहीं, बस अपने मन की दूसरों को सुनाते…
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