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फीफाट्रोल’Upper respiratory infection श्वसन नलिका में संक्रमण के इलाज में कारगर, जाने कितने दिन में दिला सकती है निजात

फीफाट्रोल’Upper respiratory infection ( URTI )
ऊपरी श्वसन नली में संक्रमण के उपचार में कारगर है। जड़ी-बूटियों से तैयार आयुर्वेदिक दवा 7 दिन में ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमण से निजात दिला सकती है। इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड योग में प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। इससे पहले भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने फीफाट्रोल को वायरस, बैक्टीरिया और फंगल संक्रमण का नियंत्रण करने में रामबाण बताते हुए सप्ताह भर के भीतर अच्छे परिणाम दिखाने का दावा किया था। इंटरनेशनल रिसर्च जर्नल ऑफ आयुर्वेदा एंड योगा में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधार्थियों ने बताया कि फीफाट्रोल में शामिल पांच औषधियां सुदर्शन वटी, संजीवनी वटी, गोदांती भस्म, त्रिभुवन कीर्ति रस और मृत्युंजय रस न सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने बल्कि वायरस, बैक्टीरिया व परजीवी संक्रमण के घातक प्रभावों को घटाने में कारगर हैं।
एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ संचित शर्मा ने बताया कि आयुर्वेदिक एंटीबॉडी फीफाट्रोल न सिर्फ ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमण बल्कि यह प्रतिरक्षा तंत्र (इम्युनिटी) को भी बढ़ाने में भी असरदार है। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने भी एक अध्ययन में इस दवा को संक्रमण के खिलाफ कारगर माना था।
अनुसंधानकर्ताओं के एक दल ने देश के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में ’Upper respiratory infection ऊपरी श्वसन नली में संक्रमण वाले 203 रोगियों पर अध्ययन किया। उपचार के दौरान रोगियों को दिन में दो बार फीफाट्रोल दी गयी और उनके स्वास्थ्य मानकों को पहले, चौथे और सातवें दिन जांचा गया। अध्ययन के अनुसार, चौथे और सातवें दिनों में रोगी की स्थिति में क्रमश: 69.5% और 90.36% सुधार पाया गया।

अध्ययन में बताया गया, “क्रमशः 4 और 7 दिन लक्षणों के स्कोर में कमी की जांच करके प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया गया था। इस पर्यवेक्षणीय अध्ययन ने URTI के लक्षणों में सुधार पर फीफाट्रोल की प्रभावशीलता और सुरक्षा के बारे में साक्ष्य एकत्र किए हैं।” शोधकर्ताओं ने रोगियों पर योगों का कोई प्रतिकूल प्रभाव भी नहीं पाया।

अध्ययन में यह भी कहा गया है कि फीफाट्रोल को न केवल URTI के इलाज में प्रभावी पाया गया है, बल्कि आयुर्वेद के चिकित्सकों द्वारा फ्लू और संबंधित लक्षणों जैसे बुखार, नाक की भीड़, बहती नाक आदि के सफल प्रबंधन के लिए भी अच्छी तरह से स्वीकार किया गया है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवा फीफाट्रोल का उल्लेख सरकार संचालित राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम द्वारा पिछले साल संकलित ‘कोविड-19 का मुकाबला करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकियों का संग्रह (पता लगाना, परीक्षण और उपचार)’ में किया गया।

शोधार्थियों के अनुसार, फीफाट्रोल में आठ बूटियां तुलसी, कुटकी, चिरायता, मोथा, गिलोय, दारुहल्दी, करंज, अपामार्ग के भी विशेष औषधीय गुण हैं। अपामार्ग और करंज वायरस से होने वाले दुषप्रभावों को निष्क्रिय करते हैं। कुटकी लीवर को ठीक करती है। तुलसी और गोदांती भस्म में एंटीवायरल गुण हैं। यह वायरस के प्रभाव को खत्म करती है। त्रिभुवन कीर्ति रस जुकाम को कम करता है। संजीवनी वटी से पसीना निकलता है जिससे शरीर का तापमान गिरकर सामानय हो जाता है।

शोधार्थियों का यह भी कहना है कि ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण की वजह से खांसी, कफ या फिर सूखी खांसी की शिकायत होती है। यह सर्दी के अलावा वायु प्रदूषण की वजह से भी हो सकता है। शोधार्थियों के अनुसार, इस तरह के संक्रमण के कारण प्रतिवर्ष दुनिया पर 22 अरब डॉलर का आर्थिक बोझ पड़ता है।

जानकारी के अनुसार, दिसंबर 2019 से अप्रैल 2020 में उत्तराखंड के मदरहुड विश्वविद्यालय, गाजियाबाद स्थित आईएमटी और देहरादून स्थित उत्तरांचल आयुर्वेद कॉलेज के शोधार्थियों ने संयुक्त तौर पर पूरा किया है।

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