मरकर भी अमर हो गए दिनेशचन्द्र अग्रवाल

जीवनदानी अग्रवाल परिवार को महर्षि दधिचि सम्मान देकर जाहिर की कृतज्ञता

बैतूल। आज जब समाज में अंगदान को बढ़ावा देने की बात होती है तो महर्षि दधिचि ही इस समाजोपयोगी कार्य के लिए सबसे बड़े प्रेरक माने जाते है। मृत्यु अटल लेकिन मृत्यु के बाद अंगदान किसी के लिए जीवन दान बन सकता है। अंगदान से जीवनदान के इस उपक्रम को बैतूल जिले के प्रतिष्ठित व्यवसायी स्व.  दिनेशचन्द्र पिता स्व. मदनलालजी अग्रवाल के निधन के बाद परिवार ने अपनाया। बीते दिनो श्री अग्रवाल के बे्रन डेड होने पर परिवार ने कठिन घड़ी में समाज के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय फैसला लेते हुए उनके अंगों का दान कर मौत के अटल सत्य से जूझ रही चार जिंदगियों बचा लिया।

जाने : देश में इन्‍टरनेट इस्‍तेमाल करने वालों की संख्‍या

ऐसे महादानी परिवार के सदस्य राजू-अरुणा अग्रवाल, अशोक-चन्दा अग्रवाल,मीना अग्रवाल,सागर- श्रद्धा अग्रवाल को बोथरा शॉपिग सेंटर एवं बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए मंगलवार को महर्षि दधिचि सम्मान से नवाजा। बोथरा परिवार के प्रमुख राजकुमार बोथरा, मीना बोथरा, धीरज बोथरा, खुशबू बोथरा, अग्रवाल समाज के प्रमुख प्रमोद अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, सीए प्रदीप खण्डेलवाल, उषभ गोठी, डॉ विनय चौहान, अतुल गोठी, अभिनय तातेड़, अन्नू अग्रवाल,अनुज अग्रवाल, मंजू गर्ग सहित बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति के पदाधिकारी गौरी पदम, भारत पदम, मेहर प्रभा परमार, लीना देशकर मौजूद थे। सम्मान पत्र का वाचन भी इस दौरान श्रीमती बोथरा द्वारा किया गया।

अंगदान अनुकरणीय एवं प्रेरक पहल
भारतीय इतिहास में कई दानी हुए हैं, किंतु मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों का दान करने वाले मात्र महर्षि दधीचि ही थे। देवताओं के मुख से यह जानकर की मात्र दधीचि की अस्थियों से निर्मित वज्र द्वारा ही असुरों का संहार किया जा सकता है, महर्षि दधीचि ने अपना शरीर त्याग कर अस्थियों का दान कर दिया था। महाराज शिबि, राजा हरिशचन्द्र और महात्यागी कर्ण भी इसी परम्परा के वाहक होकर महादानी कहलाएं। अग्रवाल परिवार ने ब्रेन डेड होने के बाद स्व. दिनेशचन्द्र अग्रवाल की दोनों आंखे, लीवर एवं किडनी दान कर दी।

उनके इस फैसले से किसी के अंधेरे जीवन में रोशनी आई तो किडनी और लीवर ने तीन और जिंदगी बचा ली। मंगलवार को अग्रवाल निवास पहुंचे बोथरा परिवार एवं अन्य लोगों ने अग्रवाल परिवार द्वारा दुख की घड़ी में कठिन फैसला लेकर  समाज के लिए की गई अनुकरणी पहल का सम्मान किया। इस दौरान राजकुमार बोथरा ने कहा कि यह सम्मान दिनेशचन्द्र अग्रवाल की स्मृतियों को चिरस्थायी रखने के लिए एक छोटा सा प्रयास है।

स्व. कुशलचन्द्र बोथरा की स्मृति में जिले में होगी दधिचि सम्मान
विरले ही लोग होते है जो अपने स्वजनों के निधन के बाद उनके अंगों या देह का दान करने की हिम्मत जुटा पाते है। ऐसे परिवार समाज के लिए पे्ररणा है और ऐसे प्रेरक परिवारों के लिए बोथरा परिवार द्वारा स्व. कुशलचन्द्र बोथरा की स्मृति में महर्षि दधिचि सम्मान दिए जाने की पहल की जा रही है। आगामी महीनों में ऐसे परिवारों का एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाएगा और सभी परिवारों कृतज्ञता स्वरुप यह सम्मान प्रदान किया जाएगा।

3 अप्रैल को होंगे बोर्ड परीक्षाओं के पेपर देखें आदेश  

Get real time updates directly on you device, subscribe now.