सबसे उत्तम कर्म है गौ सेवा.. गौ माता की सेवा से पितरो को गति मुक्ति तो मिलती ही है बलकि आने वाली 7 पीढीयां भी तर जाती है

*श्राद्ध विशेष*

*पूर्वजों को पितर पक्ष में इस मंत्र के द्वारा सूर्य भगवान को अर्ध्य देने से यमराज प्रसन्न होकर पूर्वजों को अच्छी जगह भेज देते हैं ।*

*ॐ धर्मराजाय नमः ।*
*ॐ महाकालाय नमः ।*
*ॐ म्रर्त्युमा नमः ।*
*ॐ दानवैन्द्र नमः ।*
*ॐ अनन्ताय नमः ।*

*पितृ पक्ष*

*धर्म ग्रंथों के अनुसार, विधि-विधान पूर्वक श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। वर्तमान समय में देखा जाए तो विधिपूर्वक श्राद्ध कर्म करने में धन की आवश्यकता होती है। पैसा न होने पर विधिपूर्वक श्राद्ध नहीं किया जा सकता। ऐसे में पितृ दोष होने से कई प्रकार की समस्याएं जीवन में बनी रहती हैं। पुराणों के अनुसार, ऐसी स्थिति में पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त कर कुछ साधारण उपाय करने से भी पितर तृप्त हो जाते हैं।*

*न कर पाएं श्राद्ध तो करें इनमें से कोई 1 उपाय, नहीं होगा पितृ दोष*

*जिस स्थान पर आप पीने का पानी रखते हैं, वहां रोज शाम को शुद्ध घी का दीपक लगाएं। इससे पितरों की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। इस बात का ध्यान रखें कि वहां जूठे बर्तन कभी न रखें।*

*सर्व पितृ अमावस्या के दिन चावल के आटे के 5 पिंड बनाएं व इसे लाल कपड़े में लपेटकर नदी में बहा दें।*

*गाय के गोबर से बने कंडे को जलाकर उस पर गूगल के साथ घी, जौ, तिल व चावल मिलाकर घर में धूप करें।*

*विष्णु भगवान के किसी मंदिर में सफेद तिल के साथ कुछ दक्षिणा (रुपए) भी दान करें।*

*कच्चे दूध, जौ, तिल व चावल मिलाकर नदी में बहा दें। ये उपाय सूर्योदय के समय करें तो अच्छा रहेगा।*

*श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन कराएं या सामग्री जिसमें आटा, फल, गुड़, सब्जी और दक्षिणा दान करें।*

*श्राद्ध नहीं कर सकते तो किसी नदी में काले तिल डालकर तर्पण करें। इससे भी पितृ दोष में कमी आती है।*

*श्राद्ध पक्ष में किसी विद्वान ब्राह्मण को एक मुट्ठी काले तिल दान करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।*

*श्राद्ध पक्ष में पितरों को याद कर गाय को हरा चारा खिला दें। इससे भी पितृ प्रसन्न व तृप्त हो जाते हैं।*

*सूर्यदेव को अर्ध्य देकर प्रार्थना करें कि आप मेरे पितरों को श्राद्धयुक्त प्रणाम पहुँचाए और उन्हें तृप्त करें।

पितृ_सूक्तम्
सर्वदा लाभदायी है पितृ-सूक्तम् का पाठ…
पितृ_दोष शान्ति के लिए नित्य पाठ करें !
धार्मिक पुराणों के अनुसार पितृ-सूक्तम् पितृदोष निवारण में अत्यंत चमत्कारी मंत्र पाठ है। यह पाठ शुभ फल प्रदान करने वाला सभी के लिए लाभदायी है। अमावस्या हो या पूर्णिमा अथवा श्राद्ध पक्ष के दिनों में संध्या के समय तेल का दीपक जलाकर पितृ-सूक्तम् का पाठ करने से पितृदोष की शांति होती है और सर्वबाधा दूर होकर उन्नति की प्राप्ति होती है।
जो व्यक्ति जीवन में बहुत परेशानी का अनुभव करते हैं उनको तो यह पाठ प्रतिदिन अवश्य पढ़ना चाहिए। इससे उनके जीवन के समस्त संकट दूर होकर उन्हें पितरों का आशीष मिलता है…।

।। पितृ_सूक्तम् ।।

उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।
असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥1॥
अंगिरसो नः पितरो नवग्वा अथर्वनो भृगवः सोम्यासः।
तेषां वयम् सुमतो यज्ञियानाम् अपि भद्रे सौमनसे स्याम्॥2॥
ये नः पूर्वे पितरः सोम्यासो ऽनूहिरे सोमपीथं वसिष्ठाः।
तेभिर यमः सरराणो हवीष्य उशन्न उशद्भिः प्रतिकामम् अत्तु॥3॥
त्वं सोम प्र चिकितो मनीषा त्वं रजिष्ठम् अनु नेषि पंथाम्।
तव प्रणीती पितरो न देवेषु रत्नम् अभजन्त धीराः॥4॥
त्वया हि नः पितरः सोम पूर्वे कर्माणि चक्रुः पवमान धीराः।
वन्वन् अवातः परिधीन् ऽरपोर्णु वीरेभिः अश्वैः मघवा भवा नः॥5॥
त्वं सोम पितृभिः संविदानो ऽनु द्यावा-पृथिवीऽ आ ततन्थ।
तस्मै तऽ इन्दो हविषा विधेम वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥6॥
बर्हिषदः पितरः ऊत्य-र्वागिमा वो हव्या चकृमा जुषध्वम्।
तऽ आगत अवसा शन्तमे नाथा नः शंयोर ऽरपो दधात॥7॥
आहं पितृन्त् सुविदत्रान् ऽअवित्सि नपातं च विक्रमणं च विष्णोः।
बर्हिषदो ये स्वधया सुतस्य भजन्त पित्वः तऽ इहागमिष्ठाः॥8॥
उपहूताः पितरः सोम्यासो बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।
तऽ आ गमन्तु तऽ इह श्रुवन्तु अधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥9॥
आ यन्तु नः पितरः सोम्यासो ऽग्निष्वात्ताः पथिभि-र्देवयानैः।
अस्मिन् यज्ञे स्वधया मदन्तो ऽधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥10॥
अग्निष्वात्ताः पितर एह गच्छत सदःसदः सदत सु-प्रणीतयः।
अत्ता हवींषि प्रयतानि बर्हिष्य-था रयिम् सर्व-वीरं दधातन॥11॥
येऽ अग्निष्वात्ता येऽ अनग्निष्वात्ता मध्ये दिवः स्वधया मादयन्ते।
तेभ्यः स्वराड-सुनीतिम् एताम् यथा-वशं तन्वं कल्पयाति॥12॥
अग्निष्वात्तान् ॠतुमतो हवामहे नाराशं-से सोमपीथं यऽ आशुः।
ते नो विप्रासः सुहवा भवन्तु वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥13॥
आच्या जानु दक्षिणतो निषद्य इमम् यज्ञम् अभि गृणीत विश्वे।
मा हिंसिष्ट पितरः केन चिन्नो यद्व आगः पुरूषता कराम॥14॥
आसीनासोऽ अरूणीनाम् उपस्थे रयिम् धत्त दाशुषे मर्त्याय।
पुत्रेभ्यः पितरः तस्य वस्वः प्रयच्छत तऽ इह ऊर्जम् दधात॥15॥
॥ ॐ शांति: शांति:शांति:॥

पितर_या_पितृ_गण_कौन_हैं

पितृ गणहमारे पूर्वज हैं जिनका ऋण हमारे
ऊपर है ,क्योंकि उन्होंने कोई ना
कोईउपकार हमारे जीवन के लिए किया है |
मनुष्य लोक से ऊपर पितृ लोक है,पितृलोक के
ऊपर सूर्य लोक है एवं इस से भी ऊपर स्वर्ग
लोक है| आत्मा जब अपनेशरीर को त्याग कर
सबसे पहले ऊपर उठती है तो वह पितृ लोक में
जाती है ,वहाँहमारे पूर्वज मिलते हैं |अगर उस
आत्मा के अच्छे पुण्य हैं तो ये हमारेपूर्वज भी
उसको प्रणाम कर अपने को धन्य मानते हैं
की इस अमुक आत्मा नेहमारे कुल में जन्म लेकर
हमें धन्य किया |इसके आगे आत्मा अपने पुण्य
केआधार पर सूर्य लोक की तरफ बढती है |
वहाँ से आगे ,यदि और अधिक पुण्य हैं,तो
आत्मा सूर्य लोक को बेध कर स्वर्ग लोक
की तरफ चली जाती है,लेकिन करोड़ोंमें
एक आध आत्मा ही ऐसी होती है ,जो
परमात्मा में समाहित होती है |
जिसेदोबारा जन्म नहीं लेना पड़ता |मनुष्य
लोक एवं पितृ लोक में बहुत सारीआत्माएं
पुनः अपनी इच्छा वश ,मोह वश अपने कुल में
जन्म लेती हैं|

पितृ_दोष_क्या_होता_है

हमारेये ही पूर्वज सूक्ष्म व्यापक शरीर से
अपने परिवार को जब देखते हैं ,औरमहसूस करते
हैं कि हमारे परिवार के लोग ना तो हमारे
प्रति श्रद्धा रखते हैंऔर न ही इन्हें कोई
प्यार या स्नेह है और ना ही किसी भी
अवसर पर ये हमकोयाद करते हैं,ना ही अपने
ऋण चुकाने का प्रयास ही करते हैं तो ये
आत्माएंदुखी होकर अपने वंशजों को श्राप
दे देती हैं,जिसे”पितृ-दोष”कहा जाता है |
पितृ दोष एक अदृश्य बाधा है.ये बाधा
पितरों द्वारा रुष्ट होने के कारण होती है
|पितरों के रुष्ट होने के बहुत से कारण हो
सकते हैं ,आपके आचरण से,किसी परिजन
द्वारा की गयी गलती से ,श्राद्ध आदि
कर्म ना करने से ,अंत्येष्टि कर्मआदि में हुई
किसी त्रुटि के कारण भी हो सकता है |
अमावस्या वाले दिन अवश्य अपने पूर्वजों के
नाम दुग्ध ,चीनी ,सफ़ेद कपडा ,दक्षिणा
आदिकिसी मंदिर में अथवा किसी योग्य
ब्राह्मण को दान करना चाहिए |
१० .पितृ पक्ष में पीपल की परिक्रमा अवश्य
करें |अगर १०८ परिक्रमा लगाई जाएँ ,तो
पितृ दोष अवश्य दूर होगा |
विशिष्ट उपाय :
१.किसी मंदिर के परिसर में पीपल अथवा
बड़ का वृक्ष लगाएं और रोज़ उसमें जल डालें
,उसकी देख -भाल करें ,जैसे-जैसे वृक्ष फलता –
फूलता जाएगा,पितृ -दोष दूर होता
जाएगा,क्योकि इन वृक्षों पर ही सारे
देवी -देवता ,इतर -योनियाँ ,पितर आदि
निवास करते हैं |
२. यदि आपने किसी का हक छीना है, या
किसी मजबूर व्यक्ति की धन संपत्ति का
हरण किया है,तो उसका हक या संपत्ति
उसको अवश्य लौटा दें |
३.पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को किसी
भी एक अमावस्या से लेकर दूसरी
अमावस्या तक अर्थात एक माह तक किसी
पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय काल में एक
शुद्ध घी का दीपक लगाना चाहिए,ये क्रम
टूटना नहीं चाहिए |
एक माह बीतने पर जो अमावस्या आये उस
दिन एक प्रयोग और करें :–
इसके लिए किसी देसी गाय या दूध देने
वाली गाय का थोडा सा गौ -मूत्र
प्राप्त करें|उसे थोड़े एनी जल में मिलकर इस
जल को पीपल वृक्ष की जड़ों में डाल दें |इसके
बाद पीपल वृक्ष के नीचे ५ अगरबत्ती ,एक
नारियल और शुद्ध घी का दीपक लगाकर
अपने पूर्वजों से श्रद्धा पूर्वक अपने कल्याण
की कामना करें,और घर आकर उसी दिन
दोपहर में कुछ गरीबों को भोजन करा दें |
ऐसा करने पर पितृ दोष शांत हो जायेगा
सबसे उत्तम कर्म है गौ सेवा..
गौ माता की सेवा से पितरो को गति
मुक्ति तो मिलती ही है बलकि आने
वाली 7 पीढीयां भी तर जाती है…
गौ सेवा का भाव जिस दिन मन मे जागा
समझो आपने खुद को जान लिया जीवन का
सार पा लिया..

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