सतपुडा ताप विद्युत गृह के चिकित्सालय में डाक्टरों की कमी क्यों ?

सतपुडा ताप विद्युत गृह के चिकित्सालय में डाक्टरों की कमी क्यों ? कंपनी प्रबंधन डाक्टर्स को आप्शन प्रदान करे । सारनी— विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने के नेतृत्व मे यूनियन का प्रतिनिधि मंडल सतपुडा ताप विद्युत गृह के चिकित्सालय की समस्याओं को लेकर मुख्य अभियंता व्ही के कैथवार से मिला और मुख्य अभियंता (मानव संसाधन एवं प्रशासन) जबलपुर को संबोधित ज्ञापन सौंपा।सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी चिकित्सालय में लंबे समय से डाक्टरों की कमी है। साथ ही स्त्री एवं शिशु रोग विशेषज्ञ की भी कमी बनी हुई है। पर्याप्त डॉक्टरो के अभाव में प्रभावित कर्मचारी अधिकारी बिना रेफर किए अपने परिवार का उपचार करने बैतूल, भोपाल और नागपुर चले जाते हैं। कंपनी के चिकित्सालय में डॉक्टर्स के स्वीकृत 8 पद है, लेकिन

वर्तमान मे एक नियमित डॉक्टर और एक कांट्रेक्ट बेस पर महिला चिकित्सक है और संविदा नियुक्ती पर एक डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी तीन माह चिकित्सा अवकाश पर रहे ,उस परिस्थिती में स्थानीय प्रशासन एवं संगठन के पत्राचार के उपरांत जबलपुर कंपनी प्रबंधन ने श्रीसिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया ,रानी अवंतीबाई जल विद्युत गृह बरगीनगर , संजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर से डाक्टर्स की एक-एक सप्ताह के लिए सेवा सारनी के चिकित्सालय में उपलब्ध कराई । कंपनी प्रशासन का यह सराहनीय प्रयास रहा,लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।

बुधवार को एक समय के लिए बैतूल से शिशु रोग विशेषज्ञ डाक्टर आ रहे हैं।उल्लेखनीय है कि निकट भविष्य में सारनी में 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल ईकाई स्थापित होने के साथ ही सीमेंट फैक्ट्री की भी प्रबल संभावना है। ऐसे में स्थानीय चिकित्सालय में परमानेन्ट डॉक्टर्स की पदस्थापना नहीं होना चिंता का विषय है। संगठन को ज्ञात हुआ है कि कंपनी के चिकित्सकों को नान प्रेक्टिस अलाउंस फिक्स रू 5700/- दिया जाता है। सातवें वेतनमान के अनुसार केंद्र

शासन अपने चिकित्सकों को मूल वेतन और मंहगाई भत्ते का 20 प्रतिशत नान प्रेक्टिस अलाउंस देता है। छतीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल 25 प्रतिशत नान प्रेक्टिस अलाउंस देता है। मध्यप्रदेश शासन अपने डॉक्टर्स को विशेष योजना के अंतर्गत रू तीस हजार प्रति माह भुगतान करती है। इसके साथ ही नान प्रेक्टिस और प्रेक्टिस का विकल्प भी देती है। मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड में टाइम बांड प्रोमोशन भी नहीं है।इन बंधनो के कारण ही नये डाक्टर सारनी में आना नहीं चाहते हैं, यदि आ गये तो एक वर्ष, छ: माह बाद जाने को विवश हो जाते हैं। कंपनी के चिकित्सालय में ऐसी गंभीर समस्या पिछले 40-45 वर्षो में कभी नहीं रही। सारनी में डाक्टर्स स्थायी रूप से रोकने के लिए उन्हें नान प्रेक्टिस अलाउंस केंद्र सरकार के 7 वे वेतनमान के समान 20 प्रतिशत दिया जाए अथवा ड्यूटी समाप्त होने के पश्चात प्रेक्टिस करने की छुट दी जाए।

कंपनी प्रबंधन भी मूल समस्याओं से अवगत होने के बाद भी उचित ध्यान नहीं देना समझ से परे है। कहीं प्रबंधन मेडीकल के क्षेत्र में ठेका प्रथा का विचार तो नहीं कर रहा है।ज्ञापन लेने के पश्चात तत्काल मुख्य अभियंता श्री कैथवार ने संजीव त्रिपाठी कार्यपालन अभियंता मुख्यालय को आवश्यक निर्देश दिए। इस अवसर पर यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने, किनशुक नामदेव,संदीप आरसे, सोनू पठारिया, जितेंद्र वर्मा, प्रजी भुवनेश्वर, महेश गाठे सहित अनेक सदस्य उपस्थित हुए।

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