संवेदना और अपनापन इस संसार की मातृभाषा

प्रमोद सूर्यवंशी

संवेदना और अपनापन इस संसार की मातृभाषा है,जो मानव को पशुओं से जोड़े रखती है, जैसे दिख रहे वीडियो में जोड़ रही है।आमला में आज एक बंदर करंट लगने से झुलस गया एवं बेहोश हो गया, सूचना मिलते ही जनसेवा कल्याण समिति की टीम उस तक पहुँची, टीम के युवा सदस्य नीरज झाडे ने बंदर को बेहोश देख उसकी छाती में पंपिग की, काफी प्रयासो के बाद बंदर होश में आया,

तदुपरांत जनसेवा कल्याण समिति के सदस्यों ने उसके उपचार की व्यवस्था की। इलाज के दौरान संवेदना और अपनेपन का जो भाव दिखा इसे देख आपकी भी आंखे गीली हो जाएंगी, अपनी जान बचाने वालो को देख उसने उनकी उंगली थाम ली और पूरे इलाज के दौरान उंगली ऐसे थामे रखी मानो कोई बच्चा अपने परिवार जन की उंगली थामकर निश्चिंत हो जाता है।जनसेवा कल्याण समिति के युवा पशुप्रेमी नीरज झाड़े सुजल साहू हर्षित ठाकरे शुभम् sk, प्रसंशा के पात्र है,जिनकी तत्परता एवं सेवाभाव से एक निरीह प्राणी को जल्द उपचार मिल गया।

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