क्यों घोषित नहीं कर पा रही पार्टियां अपने उम्मीदवार, चुनावी मोड़ में जनता,

क्या इनके पास कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके नाम के साथ दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर सके?

कुछ बड़े पदाधिकारी सत्ता की मलाई चाटने के लिए अपने मनपसंद उम्मीदवार को टिकट दिलाने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपना रहे हैं यह जनता के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है ।

विधानसभा चुनाव की संभावनाओ देखते हुए जनता भी अब चुनावी मोड में आ गई है और हर तरफ एक ही प्रश्न चुनाव मैदान में उतरने वाली प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से जनता कर रही है की । जब दोनों ही पार्टियों को पता है की कुछ महीनो में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और भाजपा और कांग्रेस के नेता चुनावी तैयारी में पूरी तरीके से जुट गए हैं तो पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित क्यों नहीं कर पा रही है ?

विधानसभा चुनाव के लिए जनता को अपनी तरफ रिझाने के लिए दोनों ही प्रमुख पार्टी नए-नए तरीके से जनता को प्रलोभित कर रही है। उसके बाद भी स्थिति इन पार्टियों की यह है कि यह विधानसभा चुनाव के चार माह पहले भी अपनी पार्टी का प्रमुख उम्मीदवार घोषित करने में नाकाम साबित हो रही है। क्या इनके पास कोई ऐसा नेता नहीं है जिसके नाम के साथ दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर सके?

वही शीर्ष नेताओं की इस गलती के कारण भाजपा और कांग्रेस के टिकट के दौड़ में लगे दावेदारों के आपसी द्वंद भी जनता के सामने आने लगे हैं। जिससे दोनों ही प्रमुख पार्टियों की छवि भी खराब हो रही है ।

लोगों की आपसी चर्चाओं की माने तो जनता पर शासन करने का दम्भ भरने रखने वाली यह प्रमुख पार्टिया अपने ही विधानसभा उम्मीदवारों को एक नहीं कर पा रही है ।

पार्टियो की विधानसभा चुनाव को लेकर हो रही बैठकों में भी विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों का द्वंद सामने आ रहै है । टिकट की जुगाड़ में लगे नेता क्या हथकंडे अपना रहे हैं। एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए क्या-क्या हथकंडे कर रहे हैं ।यह सब जनता को दिख रहा है। अपने चहेते प्रत्याशी को टिकट दिलाने के लिए पार्टी के पदाधिकारी नेता भी किस तरह के प्रपंच रचकर सर्वे में जनता की पसंद को हटवाकर खुद की पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिलाने के लिए भोपाल जाकर अच्छे उम्मीदवार की छवि धूमिल करने में लगे हैं और तरह-तरह के आरोप लगाकर दूसरे उम्मीदवार को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं यह सारी बातें लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

कुछ बड़े पदाधिकारी सत्ता की मलाई चाटने के लिए अपने मनपसंद उम्मीदवार को टिकट दिलाने के लिए क्या-क्या हथकंडे अपना रहे हैं यह जनता के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है ।

यह सब जनता देख रही है और आम जनता की माने तो अगर दोनों ही प्रमुख पार्टियों अपना उम्मीदवार पहले ही घोषित कर देती है तो जनता भी इन उम्मीदवारों में से अपना उम्मीदवार का चयन कर सकेगी और घोषित उम्मीदवार को भी क्षेत्र की जनता से मिलने में पर्याप्त समय मिल सकेगा।

लेकिन प्रदेश की सत्ता चलाने का सपना देख रही प्रमुख पार्टिया। क्षेत्र में अपना विधानसभा उम्मीदवार तक घोषित नहीं कर पाई हैं । जहां भाजपा ने प्रदेश की 39 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए थे। उसके बाद जनता यह उम्मीद लगा रही थी कि कांग्रेस भी एक कदम आगे बढ़कर और अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित करेगी । लेकिन अभी तक कांग्रेस की ओर से कोई घोषणा नहीं होने से माना जा रहा है कि उम्मीदवार घोषित करने के मामले में कांग्रेस फिसड्डी साबित हो चुकी है । इस मामले में अब लोग भाजपा से यह उम्मीद लगाने लगे हैं कि वह अपने बाकी के अन्य विधानसभा के उम्मीदवार भी घोषित कर दे ।

ताकि जनता को यह स्पष्ट हो जाए की कौन उम्मीदवार होगा और उम्मीदवार भी जनता के बीच पहुंचकर सभी से संपर्क कर सके। भाजपा और कांग्रेस के अलावा मध्य प्रदेश में अन्य किसी पार्टी का कोई विशेष जनाधार नहीं है । इसलिए जनता भाजपा कांग्रेस के नेताओं की ओर टकटकी लगाए देख रही है कि यह कब तक उम्मीदवार घोषित करेंगे ।

लेकिन उम्मीदवार घोषित करने के मामले में अभी तक भाजपा ने जो संदेश दिया था 39 सीटों पर उम्मीदवार घोषित करके । वह उस क्रम को निरंतर नहीं रख पा रही है । वही जनता भी इतनी जागरूक हो गई है ओर यह सोचने पर मजबूर होकर हो गई है ।

क्या दोनों ही प्रमुख पार्टियों के पास कोई योग्य उम्मीदवार नहीं है जो वह दावे के साथ घोषित कर सके । ओर दमखम के साथ चुनाव मैदान में उतर सके। चुनाव जीतने के लिए तो बड़े-बड़े वादे और दावे किए जा रहे हैं। और स्थिति यह है कि हर विधानसभा क्षेत्र का उम्मीदवार घोषित करने में ऐसा लग रहा है कि पसीने छूट रहे हैं।

उम्मीदवार घोषित नहीं होने से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में प्रमुख दावेदारों में अंतरद्वंद बढ़ रहा है। और कार्यकर्ता भी इस अंतरद्वंद में पिसे जा रहे हैं । अगर पार्टी का प्रत्याशी घोषित हो जाएगा तो कार्यकर्ता भी निश्चित होकर एक व्यक्ति के पक्ष में कार्य कर सकेंगे ।

अभी तो पार्टी की बैठकों में ही अलग-अलग पक्ष को लेकर जो घमासान चल रहा है ।वह क्षेत्र की राजनीति के लिए और भविष्य में कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए अच्छे संकेत नहीं है ।

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ऐसी ही परिस्थितियों जब लंबे समय तक चलती है तो अपने पक्ष के उम्मीदवार को टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता भीतरघात करके पार्टियों को निपटा देते हैं । क्योंकि इतना समय भी नहीं बच पाता कि वह एक होकर चुनाव लड़े ।

एक टिकट घोषित होने पर अपने पक्ष को टिकट नहीं मिलने से नाराज नेता विपक्ष की मदद करने में लग जाते हैं। जल्दी टिकट घोषित होने से ऐसी सभी समस्याओं का निराकरण हो पाएगा। ऐन वक्त पर टिकट घोषित करना पार्टियों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है ।

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पार्टी के लोकल प्रमुख नेता जो भीतरघात करके पार्टी के उम्मीदवार को हराते हैं। पहले ही टिकट घोषित होने से उनकी कार्यशैली उजागर हो जाएगी । वक्त पर टिकट घोषित होती है तो कम समय में वह जो नुकसान पार्टी को पहुंचाते हैं वह चुनाव हारने के बाद सामने आ पाता है । अभी टिकट घोषित होने पर इन बातों का पार्टी के घोषित उम्मीदवार को समय रहते पता चल सकेगा , की कि वह लोग कौन है जो पार्टी में रहते हुए पार्टी के साथ ही गद्दारी करते हैं ऐसे चेहरे सामने आ सकेंगे । इसलिए जनता भी मान रही है कि प्रमुख पार्टियों को अपने उम्मीदवार घोषित कर देना चाहिए यह सही समय है उम्मीदवार घोषित करने का।

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