मां नर्मदा के प्रति आस्था और दो बेटियों की 16 किलोमीटर की पदयात्रा
लेकिन इनके जुनून जज्बे और आस्था ने सबके मन की भ्रांतियों को तोड़ दिया और कुछ घंटे में नेमावर नर्मदा जी पहुंचकर मां नर्मदा को इन्होंने प्रणाम किया । यह जुगल जोड़ी है परिधि और उनकी भाभी मुस्कान की
आज के आधुनिक परिवेश में जहां युवा पीढ़ी सुबह 9 -10 बजे के पहले बिस्तर नहीं छोड़ती। वही इसी युवा पीढ़ी के जुनून , जज्बे और आस्था ने लोगों को हैरान कर दिया है । जब खातेगांव से नेमावर तक इन दो बेटियों ने 16 किलोमीटर की मां नर्मदा की पैदल यात्रा की तो परिवार का हर व्यक्ति हैरान रह गया ।
आज के आधुनिक युग में लोग ईश्वर के प्रति अपनी आस्था को भूलते जा रहे हैं। कुछ आधुनिकता की आड में ईश्वर के अस्तित्व पर सवाल उठाते है।
वहीं मां नर्मदा के प्रति अपनी अटूट आस्था के चलते इन दो बेटियों ने 16 किलोमीटर की खातेगांव से नेमावर तक की पदयात्रा की। सोमवार सुबह 4 बजे इन्होंने खातेगांव से अपनी यात्रा शुरू की तो परिवार के हर व्यक्ति को लगा कि यह मुश्किल ही इतनी लंबी पद यात्रा कर पाएंगे , पर उनके जुनून को देखते हुए परिजनों ने भी यह कहकर जाने दिया कि जहां तक जा सकते हो जाओ फिर दिक्कत होगी तो कार भिजवा देंगे ।
लेकिन इनके जुनून जज्बे और आस्था ने सबके मन की भ्रांतियों को तोड़ दिया और कुछ घंटे में नेमावर नर्मदा जी पहुंचकर मां नर्मदा को इन्होंने प्रणाम किया । यह जुगल जोड़ी है परिधि और उनकी भाभी मुस्कान की जिन्होंने अपने जीवन में पहली बार इतनी लंबी पदयात्रा की और आज की आधुनिक पीढ़ी के बारे में लोगों की भ्रांतियां को तोड़ दिया और यह संदेश दिया है कि मन मे आस्था हो और दिल में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी मंजिल पीछे नहीं होती । हर उस लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है जिसे पाने की दिल में तमन्ना हो।
उनकी इस पदयात्रा पर परिवार के श्री नारायण जी मंगल, श्रीमती किरण जी मंगल ,श्री पराग जी , अंशुल जी मंगल भी गर्व महसूस कर रहे हैं ।