Sarni : betul _सात आरोपियों को वन्य प्राणी के शिकार का प्रयास करने पर 3 वर्ष का सश्रम कारावास

संरक्षित वन में वन्य प्राणी के शिकार का प्रयास करने वाले आरोपीगण को 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000-5000 / – रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया : – माननीय न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी वैतूल ने संरक्षित वन में वन्य प्राणी के शिकार का प्रयास करने वाले आरोपीगण 1. शिवू पिता दयाल मण्डल , उम्र 40 वर्ष , 2. गोकुल पिता सुक्कू ढीमर उम्र 52 वर्ष 3. कमलेश पिता भैयालाल उम्र 22 वर्ष , 4. पिंटू पिता चैत्या उम्र 27 वर्ष , 5. चैत्या पिता नानक मोरे उम्र 53 वर्ष , 6. राजु पिता मुन्ना ढीमर उम्र 35 वर्ष , 7 . सुनील पिता नानू ढीमर उम्र 32 वर्ष सभी निवासी मछली कांटा सारणी , थाना सारणी जिला बैतूल को धारा 9 / 51 वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के अपराध में दोषी पाते हुये

प्रत्येक आरोपीगण को 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000-5000 / – रूपये के जुर्माने से दंडित किया गया । प्रकरण में म.प्र . शासन की ओर से ए.डी.पी.ओ. अजीत सिंह के द्वारा पैरवी की गई । प्रकरण की पैरवी में वनरक्षक नितिन शर्मा ( कोर्ट शाख प्रभारी ) द्वारा विशेष सहयोग प्रदान किया गया । घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि दिनांक 18.03.2016 को तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी अमित खन्ना वन परिक्षेत्र रानीपुर के निर्देशन में वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा रात्रि गश्ती की जा रही थी

जब वन कर्मचारी संरक्षित वन कक्ष कमांक पीएफ 447 में गश्ती कर रहे थे उसी दौरान अभियुक्तगण वन्य प्राणी के शिकार के उद्देश्य से वहा पाये गये । आरोपीगण के कब्जे से एक मोटरसाईकिल एवं 3 नग वन्य प्राणी के शिकार में उपयोग होने वाले जाल मिले थे । मौके पर ही अभियुक्तगण के कब्जे से मोटरसाईकिल व जालो को जप्त कर जप्ति पंचनामा मौका पंचनामा तैयार किया जाकर आरोपीगण के विरूद्ध अपराध अंतर्गत धारा 9 / 51 वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वन अपराध दर्ज कर पीओआर जारी किया गया था ।

विवेचना के दौरान आरोपीगण के संस्वीकृति कारक कथन उनके बताये अनुसार लेखबद्व किये गये थे जिसमें सभी आरोपीगण ने यह स्वीकार किया कि वे वहां वन्य प्राणी के शिकार के उद्देश्य से पंहुचे थे । आवश्यक विवेचना उपरांत आरोपीगण के विरूद्ध तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी अमित खन्ना द्वारा परिवाद पत्र तैयार कर माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया । विचारण के दौरान अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से परे प्रमाणित किया जिसके आधार पर न्यायालय ने आरोपीगण को उपरोक्तानुसार दंड से दंडित किया गया ।

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