नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के कदमों के निशान घर के अंदर की तरफ जाते हुए लगाएं

 भौरा :- हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व है. नवरात्रि के इस समय में 9 दिनों के लिए मां दुर्गा को अपने घर में स्थापित किया जाता है. मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योति रखी जाती है. इस दौरान लोग मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा करते हैं. नवरात्रि के इस पर्व के दौरान 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. पंडित कृष्ण कुमार अग्निहोत्री के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है. इस बार नवरात्रि का त्योहार 26 सितंबर, सोमवार से शुरू होगा. नवरात्रि के पहले दिन में घटस्थापना की जाती है.
घट अर्थात मिट्टी का घड़ा. इसे नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त के हिसाब से स्थापित किया जाता है. घट को घर के ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए. घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें. फिर इसका पूजन करें. जहां घट स्थापित करना है, उस स्थान को साफ करके वहां पर एक बार गंगा जल छिड़ककर उस जगह को शुद्ध कर लें. उसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. फिर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें या मूर्ति. अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर लाल मौली बांधें. उस कलश में सिक्का, अक्षत, सुपारी, लौंग का जोड़ा, दूर्वा घास डालें. अब कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उस नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर रखें. कलश के आसपास फल, मिठाई और प्रसाद रख दें. फिर कलश स्थापना पूरी करने के बाद मां की पूजा करें.

घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक
अवधि – 01 घण्टा 33 मिनट्स
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक
नवरात्रि का शुभ योग मुहूर्त
आश्विन नवरात्रि सोमवार, सितम्बर 26, 2022
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 26, 2022 को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त – सितम्बर 27, 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म
नवरात्रि में कुछ उपायों को करना भी काफी फलदायी माना जाता है
नवरात्रि के पहले दिन पूजा आदि शुरू करने से पहले घर के मख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का बंदनवार लगाना ना भूलें. ऐसा करने से घर में मौजूद नकारात्मकता दूर होती है.
नवरात्रि के पहले दिन से अंतिम दिन कर रोजाना घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ सिंदूर से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और हल्दी मिला हुआ जल अर्पित करें.
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के कदमों के निशान घर के अंदर की तरफ जाते हुए लगाएं. आजकल मार्केट में मां दुर्गा के कदमों के निशान वाले स्टीकर आसानी से मिल जाते हैं. आप चाहे तो इन्हें खुद भी लाल पेंट से बना सकते हैं.
नवरात्र के दौरान माता लक्ष्मी के मंदिर में जाएं. इसके बाद एक लाल कपड़े में थोड़ा सा केसर, हल्दी और चावल को बांधकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और छोड़ा सा चावल लेकर अपने घर को वापस आ जाएं. इन चावलों को उस जगह पर छिड़क दें जहां पर आपका पैसा रहता है. इससे आपको आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा.
नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिन एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें गुलाब की पत्तियां और इत्र डालकर घर के मुख्य द्वार पर रखें. इससे घर में माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है और नकारात्मकता भी दूर होती है.
अगर आपके घर में तुलसी का पौधा नहीं है तो नवरात्रि के किसी भी दिन में घर की उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा लगाएं. इससे घर सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है.
नवरात्रि की तिथि
प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 26 सितम्बर 2022
द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 27 सितम्बर 2022
तृतीया (मां चंद्रघंटा): 28 सितम्बर 2022
चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 29 सितम्बर 2022
पंचमी (मां स्कंदमाता): 30 सितम्बर 2022
षष्ठी (मां कात्यायनी): 01 अक्टूबर 2022
सप्तमी (मां कालरात्रि): 02 अक्टूबर 2022
अष्टमी (मां महागौरी): 03 अक्टूबर 2022
नवमी (मां सिद्धिदात्री): 04 अक्टूबर 2022
दशमी (मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन): 5 अक्टूबर 2022
हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
इस बार शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आने वाली हैं. ऐसा कहते हैं कि जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो बहुत ज्यादा वर्षा होती है. चारों ओर हरियाली छाई रहती है. ऐसे में देवी की उपासना करने वालों के घर कभी अन्न की कमी नहीं रहती है. नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना के साथ ही होती है.
कब है अष्टमी?
शारदीय नवरात्रि में अष्टमी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन महागौरी की पूजा होती है. कई जगहों पर लोग अष्टमी तिथि पर ही कन्या पूजन करते हैं. इस बार महाअष्टमी 3 अक्टूबर दिन सोमवार को पड़ रही है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रविवार, 2 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 47 मिनट से लेकर अगले दिन सोमवार, 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के कारण अष्टमी का व्रत 3 अक्टूबर को ही रखा जाएगा.
कब है नवमी?
अष्टमी तिथि पर कन्या पूजन ना करने वाले लोग नवमी को यह परंपरा निभाते हें. इस दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन होता है. इस बार अश्विन शुक्ल की नवमी तिथि सोमवार, 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 से लेकर मंगलवार, 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट तक रहेगी. उदिया तिथि के कारण नवमी का पूजन 04 अक्टूबर को ही किया जाएगा.
नवरात्रि का पारण
शारदीय नवरात्रि पर नवमी के दिन यानी 04 अक्टूबर 2022 को दोपहर 02 बजकर 20 के बाद नौ दिन तक चलने वाले नवरात्रि व्रत का पारण किया जा सकता है.
कन्या पूजन विधि
शास्त्रों के मुताबिक कन्या पूजन मे कन्या कीआयु 2 वर्ष से 9 वर्ष तक होनी चाहिए।
नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर कन्‍याओं को उनके घर जाकर निमंत्रण दें. गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नामों के जयकारे लगाएं. अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाएं. सभी के पैरों को दूध से भरे थाल में रखकर अपने हाथों से उनके पैर स्‍वच्‍छ पानी से धोएं. कन्‍याओं के माथे पर अक्षत, फूल या कुमकुम लगाएं फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्‍य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीष लें.

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