Hindi divas आज हिंदी दिवस

हमारी मातृभाषा और राजभाषा हिंदी का वर्चस्व आज हिंदुस्तान में नहीं अपितु पूरे विश्व में छाया हुआ है।प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हम भारत में हिंदी दिवस मनाते हैं।हमारे देश में अनेक महान साहित्यकार हुए हैं कुछ साहित्यकारों को उनके उपनाम से भी जाना जाता है ऐसे ही कुछ प्रसिद्ध साहित्यकारों के बारे में मैं आपको बताना चाहूंगा उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी माखनलाल चतुर्वेदी जी महादेवी वर्मा सुमित्रानंदन पंत गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर। जैसे अभिनेता श्री अमिताभ बच्चन जी ने भारतीय संस्कृति को पूरे विश्व पटल पर दिखाया और हमारी संस्कृति को विश्व के अन्य देशों से रूबरू कराया वह मातृभाषा हिंदी के कारण ही हो पाया। हमारा देश हिंदी भाषा को बोला जाने वाला सर्वाधिक हिंदी भाषियों वाला देश भारत है। आज विश्व पटल पर हिंदी की अलग ही छाप है। जिसमें अतीत में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद जी का बहुत बड़ा योगदान रहा उन्होंने अपने उपन्यास कर्मभूमि गबन गोदान आदि डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा उपन्यास लिखें और हिंदी भाषा को विश्व पटल पर लाकर खड़ा कर दिया। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने कई श्रेष्ठ कविताएं लिखी। माखनलाल चतुर्वेदी जी एक भारतीय आत्मा थे भारत के सुप्रसिद्ध कवियों में से एक प्रसिद्ध कवि जिनका जन्म होशंगाबाद से बाबई नामक स्थान पर हुआ था हिंदी साहित्य में माखनलाल चतुर्वेदी जी का नाम सुनहरे अक्षरों में आज भी याद किया जाता है जैसे की हम सभी को मालूम है बचपन में पुष्प की अभिलाषा और राष्ट्र को समर्पित अमर राष्ट्र जैसी ओजस्वी रचनाओं के लिए उन्हें डि लीट की मानद उपाधि से विभूषित भी किया गया था। हिंदी भाषा की कवित्री श्रीमती महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया और साथ ही साथ में उनकी रचनात्मकता बहुत ही सरल थी उन्हें भारत में आधुनिक मीरा के नाम से जाना जाता था। पट्टी से लगाओ और पति का खूबसूरत चित्रण करना तो कोई प्रकृति के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत से ही सीख सकता है उन्होंने बचपन से ही प्रकृति से लगाव था और साथ ही साथ प्रकृति सौंदर्य का रमणीय वर्णन उन्होंने कागज पर इस प्रकार से उकेरा की लगता है अल्मोड़ा की संस्कृति और समाज को अंदर तक प्रभावित कर दिया। बहुत कम लोगों को ही मालूम है कि उन्होंने लक्ष्मण के चरित्र को आदर्श मानकर अपना नाम गुस्साई दत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया था। हम तुम्हें गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर जिन्हें प्रथम नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था वह एशिया के प्रथम नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले व्यक्ति थे इनकी दो महान रचनाएं भारत का राष्ट्रगान जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान अमर सोनार बांग्ला मुख्य है और बहुत से लोगों को यह जानकारी होना चाहिए कि गुरु रविंद्र नाथ टैगोर नहीं गांधी जी को महात्मा की विशेष उपाधि विशेषण दीया जो आज और आने वाले समय में भी याद रखा जाएगा। और अंत में हमारे गुरु जी स्वर्गीय श्री शैल के सर ने हिंदी में हमें एक वाक्य सिखाया था वह आज भी जीवन में हमें प्रेरणा देता है एक अल्पविराम पूरे वाक्य का अर्थ से अनर्थ कर देता है एकमात्र मात्रा से चिंता चिता में बदल जाती है। उनका यहां वाक्य था रोको ,मत जाने दो। रोको मत जाने दो। और जैन सर के द्वारा पूछे गए वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तरीय कार्यक्रम जो आज भी हमें महंगाई और महगाई में अंतर बताते हैं। भाषा हमारे जीवन को आधार देती है ज्ञान देती है और हमारे व्यवहार को भी प्रदर्शित करती है। एक प्यारा सा बच्चा जब पहला शब्द बोलता है तब उसे लगभग 2 साल लग जाते हैं परंतु जीवन की इस संघर्ष में जीवन की इस शैली में कब कौन सा शब्द/ वाक्य बोलना है इसको सीखते सीखते पूरी जिंदगी बीत जाती है। हिंदी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।जय हिंद वंदे मातरम ।मौलिकलेख हेमंत साहू 8103210285

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