यहाँ हर तरफ राधा रानी के नाम की गूंज – बरसाना

बरसाना मथुरा जिले की गोवर्धन तहसील व नन्दगाँव ब्लाक में स्थित एक क़स्बा और नगर पंचायत है। इसका प्राचीन नाम वृषभानुपुर है। इसके आसपास के शहर हैं : मथुरा, भरतपुर, खैर आदि।कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण की राधा बरसाना की ही रहने वाली थीं। क़स्बे के मध्य श्री राधा की जन्मस्थली माना जाने वाला [5] श्री राधावल्ल्भ मन्दिर स्थित है। राधा का जिक्र पद्म पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मिलता है। पद्म पुराण के अनुसार राधा वृषभानु नामक गोप की पुत्री थीं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधा कृष्ण का बाल विवाह हुआ।

कुछ विद्वान मानते हैं कि राधाजी का जन्म यमुना के निकट बसे स्थित रावल ग्राम में हुआ था और बाद में उनके पिता बरसाना में बस गए। इस मान्यता के अनुसार नन्दबाबा एवं वृषभानु का आपस में घनिष्ठ प्रेम था। कंस के द्वारा भेजे गये असुरों के उपद्रवों के कारण जब नन्दराज अपने परिवार, समस्त गोपों एवं गौधन के साथ गोकुल-महावन छोड़ कर नन्दगाँव में निवास करने लगे, तो वृषभानु भी अपने परिवार सहित उनके पीछे-पीछे इस गाँव को त्याग कर चले आये और नन्दगाँव के पास बरसाना में आकर निवास करने लगे।

लेकिन लोग अधिकतर मानते हैं कि उनका जन्म बरसाना में हुआ था। राधारानी का प्रसिद्ध मंदिर बरसाना ग्राम की पहाड़ी पर स्थित है। बरसाना में राधा जी को ‘लाड़लीजी’ कहा जाता है।राधा रानी मंदिर बरसाना मंदिर 250 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 1675 में हुआ था। राजा वीरसिंह ने इसे बनवाया था। यह मंदिर लाल पीले पत्थरों से बनया गया है। कहते है, की यह मंदिर का निर्माण 5000 साल पहले किया गया था। इस मंदिर का निर्माण कृष्ण के पौत्र वज्रनाभ के द्वारा किया गया था।

मान्यता के अनुसार कृष्ण के पिता नंद जी थे, जो की गोकुल के मुखिया थे, और राधा के पिता वृषभानु थे, जो की रावल के मुखिया थे। दोनो ही बहुत अच्छे दोस्त थे।

मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों के कारण गोकुल और रावल दोनो के ही रहवासी परेशान थे। इसीलिए दोनो नगर के रहवासी गोकुल और रावल छोड़कर नंदगांव और बरसाना में बस गए।

नंदबाबा ने नंदीश्वर को अपना घर बना लिया और वृषभानु ने भानुग्रह पर्वत को अपना घर बना लिया, जो राधा का जन्म स्थल कहा जाता है। बरसाना के ये दोनो ही नगरों में बहुत सारे मंदिर राधा और कृष्ण के नाम पे बनाए गए है। नंदगांव के मंदिर को नंदभवन कहा जाता है, और बरसाना के मंदिर को राधा रानी मंदिर कहा जाता है।राधाष्टमी का दिन यहां पर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार का आयोजन थोड़े दिनोनपाह ही शुरू कर दिया जाता है। इस दिन राधाजी की पूजा अर्चना की जाती है, तथा उनको छप्पन भोग भी लगाया जाता है।

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