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उनकी विराटता का इससे बढ़कर सुबूत क्या होगा कि उनका असली नाम युसूफ़ ख़ान था लेकिन वे दिलीप कुमार के नाम से जाने पहचाने जाते थे । और तो और अपने पूरे केरियर में सिर्फ़ ‘ मुग़ले आज़म ‘ फ़िल्म में उन्होंने मुसलमान क़िरदार अदा किया । ‘ गंगा जमुना ‘ उनकी श्रेष्ठतम फ़िल्मों में से एक फ़िल्म है जिसमें उन्होंने डाकू का यादगार रोल निभाया और भोजपुरी भाषा के संवाद इतनी कुशलता एवं स्पष्टता से अदा किए कि सुनकर हैरत होती है ।
और उनके द्वारा अभिनित भजन – ‘ सुख के हैं सब साथी दुःख में न कोई ‘ , किस के ज़ेहन में नहीं है ?
‘ मधुमती ‘ का उनका फॉरेस्ट ऑफिसर का वह क़िरदार । ‘ सुहाना सफ़र और ये मौसम हँसी ‘ गीत पर उनकी दिलकश अदायगी क्या हम कभी भूल पाएंगे ?
‘ मुग़ले आज़म ‘ का वह शहज़ादा सलीम और मीठी उर्दू ज़ुबान के वे संवाद हमारे दिलों में हमेशा रोशन रहेंगे ।
‘ राम और श्याम ‘ का उनका वह दिलकश अंदाज़ और कहाँ मयस्सर होगा !?
सच कहूँ तो उनकी शख़्सियत में हिंदुस्तान की मिट्टी की महक रही है ।
व्यक्तिगत रूप से मैं तो उनके व्यक्तित्व और कृतित्व का हृदय से प्रशंसक रहा हूँ । यह भी सच है कि मैंने अपनी ज़िन्दगी में पहली फ़िल्म ‘दाग़’ देखी जिसके नायक दिलीप कुमार ही थे । और तो और लड़कपन में उनके कई डॉयलोग्स मेरे मुँह ज़ुबानी रहते थे और मैं दोस्तों को सुनाकर ख़ूब तारीफ़ बटोरता था ।
आज सातवें माह की सात तारीख़ को सुबह लगभग सात बजे उन्होंने अंतिम साँस ली । उनके इंतक़ाल की ख़बर लगते ही मेरे भीतर कुछ हिल गया और एक ब एक मेरे ज़ेहन में इक़बाल का ये शेर आया :
*हज़ारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है ,*
*बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा ।*
अब जबकि वे अपने नए सफ़र पे निकल गए हैं । मुझे उनकी फ़िल्म ‘आदमी’ फ़िल्म का गीत याद आ रहा है :
आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज़ न दे …
इस हरदिल अज़ीज़ हिंदुस्तानी अभिनेता को मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ।
सन्तोष जैन
जाने-माने फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार का लम्बी बीमारी के बाद निधन

जाने-माने फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार का लम्बी बीमारी के बाद आज सवेरे मुंबई में देहांत हो गया। ये 98 वर्ष के थे। वयोवृद्ध अभिनेता को पिछले सप्ताह बुधवार को सांस लेने में कठिनाई के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
दिलीप कुमार ने 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से हिन्दी फिल्म जगत में अभिनय की शुरूआत की थी। छह दशकों के दीर्घकालिक व्यवसायिक जीवन में दिलीप कुमार की अनेक फिल्में हिट हुईं। इनमें मुगलेआजम, नया दौर, बाबुल, दीदार, मधुमति, देवदास, गंगा जमुना, राम और श्याम, कर्मा और अन्य फिल्में शामिल है। कई त्रासदी फिल्मों में उनके उत्कृष्ट अभिनय को देखते हुए, उन्हें ट्रैडजी किंग का खिताब दिया गया।
भारतीय सिनेमा में विशिष्ट योगदान के लिए दिलीप कुमार को 1991 में प्रतिष्ठित पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। 1994 में उन्हें दादा साहेब फाल्के और 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
आंध्र प्रदेश सरकार ने 1997 में दिलीप कुमार को एन.टी.आर. राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। पाकिस्तान सरकार ने भी 1998 में उन्हें निशाने ए-इम्तियाज से सम्मानित किया, जो पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर गहरा व्यक्त किया है। ट्वीट संदेश में श्री मोदी ने कहा कि दिलीप कुमार जी को सिनेमा के महान अभिनेता के रूप में याद किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अद्वितीय प्रतिभा के धनी दिलीप कुमार ने अपने अभिनय से पीढ़ी दर पीढ़ी दर्शकों को सम्मोहित किया। उनका निधन हमारे सांस्कृतिक जगत की क्षति है। श्री मोदी ने दिलीप कुमार के परिवार, मित्रों और असंख्य प्रशंसकों के प्रति संवेदना व्यक्त की है
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर शोक व्यक्त किया है। ट्वीट संदेश में श्री सिंह ने कहा कि दिलीप कुमार एक बेहतरीन अभिनेता और सच्चे कलाकार थे। भारतीय फिल्म जगत में उनके अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें याद रखा जाएगा। श्री सिंह ने कहा कि गंगा-जमुना जैसी फिल्म में उनके अभिनय ने लाखों सिने प्रेमियों के दिल को छुआ। उन्होंने कहा कि पद्म विभूषण से सम्मानित करने के दौरान वे श्री दिलीप कुमार से मुम्बई में व्यक्तिगत रूप से मिले थे। उन्होंने कहा कि महान अभिनेता से उनकी मुलाकात एक विशेष अवसर था।