|
उत्साह से मना रहे गुरु पूर्णिमा पर्व
बैतूल । गुरु पूर्णिमा का त्योहार बैतूल जिले में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
इसे अखाड़ी के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है ।
इस दिन सुबह से ही लोग पूजन अर्चन में जुटे होते हैं ।
सभी लोग अपनी सामाजिक परंपरा के अनुसार इस त्योहार को मनाते हैं।
बैतूल जिले के हर घर में यह त्यौहार मनाया जाता है।
इस हिसाब से यह बैतूल जिले के लिए बहुत बड़ा त्यौहार है । ये जो अखाड़ी का त्यौहार है।
आज के दिन कई जगह कुश्ती का आयोजन किया जाता है।
भोलेनाथ की पूजा, नागदेव की पूजा विशेष तौर पर सभी करते हैं।
गुरु की पूजा की जाती है।
आज 5 सात प्रकार के फूलों से पूजा की जाती है।
कुछ लोग प्रसादी के रूप में (कड़ाही ) हलुआ प्रसाद बना कर चढ़ाते हैं।
आज से सर्प के मंत्र वालों को मंत्रो का सिखाया जाता है ।
मन्त्र की पूजा करते हैं
मुठुआ (एक प्रकार का खूंटा) की पूजन की जाती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पेड़ों के नीचे देवस्थान होते है वँहा पूजा की जाती है।
गाय के कोठे में हलवा बना कर प्रसाद के रूप में लोगो को निमंत्रण देकर करवाते है।
जिसे कडाही कहा जाता है
कुछ जगह पर बली देने की भी परम्परा है।
कुछ लोग दीवाल पर गोबर से अखाड़ा बना कर उसकी पूजा करते है।
नागदेवता की पूजा उनके स्थानों पर करते है ।
नई फसल को चढ़ाने की भी परम्परा भी है।